सरकार और ट्विटर की तकरार के बीच Koo App के 30 लाख डाऊनलोड्स बढ़े – खालिस्तान-पाकिस्तान से संबंधित 1178 अकाउंट बंद करने के आदेश पर ट्विटर व केंद्र सरकार में टक्कर बढ़ता जा रहा है। केंद्र सरकार ने अमेरिकी कंपनी ट्विटर को स्पष्ट कहा है कि उसे भारतीय कानून का पालन करना ही होगा। साथ ही, ट्विटर की मनमानी के खिलाफ कई राजनेता, नौकरशाह व अन्य ट्विटर छोड़कर कू एप्लीकेशन (Koo Application) पर जा रहे हैं।
ट्विटर के उपाध्यक्ष मोनिक मेशे व जिम बेकर से वर्चुअल बैठक में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव ने कहा, सरकार के निर्देश के बावजूद किसान आंदोलन से जुड़े फर्जी खातों को बंद नहीं किया गया। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे पहले, ट्विटर ने अभिव्यक्ति की आजादी के मूल अधिकार का उल्लंघन बताते हुए केंद्र के आदेश का पूरी तरह से पालन करने में असमर्थता जताई और कहा कि भारत सरकार की मांग देश के कानूनों के अनुरूप नहीं है।
48 घंटे में करीब 30 लाख लोगों ने किया कू एप्लीकेशन (Koo App) डाउनलोड
आत्मनिर्भर भारत के तहत पिछले साल ही कू (Koo) एप्लीकेशन को लॉन्च किया गया था। रेलमंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में ट्विटर छोड़कर कू (Koo) ऐप इस्तेमाल करने के बारे में बताया। इसके बाद इस ऐप 8 घंटे में करीब 30 लाख लोगों डाउनलोड कर लिया। हालांकि इसके बाद से ट्विटर की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। वहीं दूसरी ओर सरकार अब ट्विटर जैसी सोशल मीडिया नेटवर्क्स को सबक सिखाने के मूड में आ गई है। इससे पहले रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि चाहे वो ट्विटर हो, फेसबुक हो या लिंक्डइन हो सबको भारतीय कानून मानना पड़ेगा।
1178 में मात्र 583 के खिलाफ कार्रवाई
केंद्र ने 4 फरवरी को ट्विटर से 1178 अकाउंट को हटाने के लिए कहा था। इनसे किसानों के प्रदर्शन को लेकर भड़काऊ सामग्री पोस्ट की जा रही थी। इनमें से 583 अकाउंट के खिलाफ कार्रवाई की गई। इसके अलावा अन्य 500 पर भ्रामक सामग्री फैलाने वाला मानकर कार्रवाई की। इनमें से कुछ अकाउंट को स्थायी तौर पर बंद भी किया गया है।
क्या है कू एप्लीकेशन? (What is Koo App?)
सरकार और ट्विटर के बीच तकरार के बाद देसी माइक्रोब्लॉगिंग ऐप कू (Koo) चर्चे में है। पिछले 48 घंटे में KooApp को 30 लाख से ज्यादा लोगों ने डाउनलोड कर लिया है। कू ऐप फिलहाल चार भाषाओं में हिंदी, तमिल, तेलुगू और कन्नड़ में उपलब्ध हैं। इसे बेंगलुरु की बॉम्बिनेट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड ने बनाया है।
क्या है Koo App का चाइनीज कनेक्शन?
चाइनीज इन्वेस्टर Shunowai Capital ने Koo App और Vokal की पैरेंट कंपनी बोम्बिनेट टेक्नोलॉजी में पैसा इन्वेस्ट किया था। लेकिन कू ऐप के को-फाउंडर और सीईओ अप्रमेय राधाकृष्णा ने बताया है कि चाइनीज इनवेस्टर शुनवेई कैपिटल (Shunwei Capital) Koo App के पैरेंट से पूरी तरह बाहर हो जाएगी और यह ऐप पूरी तरह से आत्मनिर्भर होगा।
राधाकृष्णा ने अपने ट्विटर अकाउंट पर बताया है, “शुनवेई ने शुरुआती ब्रांड Vokal में निवेश किया था। हमने अपने बिजनेस में Koo पर फोकस बढ़ाया है और अब शुनवेई बाहर निकलने वाली है। हम सचमुच आत्मनिर्भर भारत ऐप हैं। शुनवेई की कंपनी में हिस्सेदारी सिंगल डिजिट में है।”
शुनवेई कैपिटल की हिस्सेदारी मात्र 11.1%
31 मार्च 2019 के अनुसार कंपनी में शुनवेई कैपिटल की हिस्सेदारी मात्र 11.1 फीसदी थी। बोम्बिनेट टेक्नोलॉजी ने पिछले हफ्ते कहा था कि उसने ब्लूम वेंचर्स, एक्सेल, कलारी कैपिटल और 3one4 कैपिटल से $41 लाख का फंड जुटाया है। Koo ने पिछले साल अगस्त में भारत सरकार की तरफ से आयोजित आत्मनिर्भर ऐप इनोवेशन चैलेंज को जीता था।